रिलायंस ला सकती है जियो और रिटेल कारोबार का आईपीओ, कंपनी ने राइट्स इश्यू से भी जुटाया पैसा

रिलांयस इंडस्ट्रीज अपने तेजी से बढ़ रहे टेलीकॉम कारोबार जियो और अपने रिटेल कारोबार का आईपीओ ला सकती है। बर्नस्टीन रिसर्च ने बुधवार को अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि इससे कंपनी के शेयरधारकों को फायदा मिल सकता है। हाल ही में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अपनी डिजिटल कारोबार इकाई जियो प्लेटफॉर्म्स में 24.7 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर 22.3 अरब डॉलर की राशि जुटाई है। साथ ही राइट्स इश्यू से भी कंपनी ने पैसे जुटाए हैं। इसके बाद कंपनी पर नेट डेट शून्य हो गया है।

कंपनी के शेयरधारकों को संपत्ति को रिडीम करने का अवसर मिलेगा


बर्नस्टीन रिसर्च ने अपने विश्लेषण में कहा कि जियो में 24.7 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने और राइट्स इश्यू के बाद उसे उम्मीद है कि अगले तीन से चार साल में कंपनी अपने टेलीकॉम कारोबार और रिटेल कारोबार का आईपीओ लाकर इन्हें अलग से स्थापित करेगी। इससे कंपनी के शेयरधारकों को संपत्ति को रिडीम करने का अवसर मिलेगा। विश्लेषण में कहा गया है कि रिलायंस बैलेंसशीट देखने पर पता चलता है कि इस लेनदेन के बाद उसकी वित्तीय हालत बेहतर हुई है। इसके अलावा रिलायंस के सऊदी अरामको के साथ हुए 15 अरब डॉलर के समझौते और कैश फ्लो से उसका कर्ज आने वाले वर्षों में और कम होने की संभावना है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी बैलेंसशीट को और दुरुस्त कर सकती है

कंपनी अपने तेल और पेट्रोकेमिकल कारोबार में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी 75 अरब डॉलर में बेचने के लिए अरामको के साथ बातचीत कर रखी है। बड़ा सवाल यह है कि इतनी नकदी का रिलायंस करेगी क्या? इस बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे कंपनी अपनी बैलेंसशीट को और दुरुस्त कर सकती है और अपनी देनदारियों को कम कर सकती है। इसमें देरी से भुगतान और प्रावधान करके रखी गयी राशि शामिल है जो करीब-करीब 50,000 करोड़ रुपए के बराबर है।



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हाल ही में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अपनी डिजिटल कारोबार इकाई जियो प्लेटफॉर्म्स में 24.7 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर 22.3 अरब डॉलर की राशि जुटाई है


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