सीजेरियन ऑपरेशन से होने वाले बच्चों की रोगों से लड़ने की क्षमता कम होती है क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। इन्हें ऐसे बैक्टीरिया नहीं मिल पाते हैं जो उनके लिए फायदेमंद हैं। इसलिए डॉक्टर सोच रहे हैं कि उनके शरीर में कैसे इस जरूरी बैक्टीरिया की कमी को पूरा किया जाए। यह रिसर्च फिनलैंड की हेलसिंकी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने की है।
इसलिए ये बैक्टीरिया जरूरी
सीजेरियन ऑपरेशन से जन्म लेने वाले बच्चों की एक कमी को दूर करने की कोशिश हो रही है। नवजात शिशु को कई तरह के द्रव और मल का अंश भी अपनी मां से मिलता है। इस बात के सबूत मिल रहे हैं कि शिशुओं को बैक्टीरिया से भरपूर मल से फायदा है। वे बच्चे के इम्यून सिस्टम के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
ऐसे बैक्टीरिया के बिना एलर्जी और टाइप-1 डायबिटीज जैसी गड़बड़ियां पैदा हो सकती हैं। आंत के तत्व पेचीदा कार्बोहाइड्रेट्स जैसी खाने-पीने की कुछ चीजों को पचाने में मदद करते हैं। इनमें असंतुलन से मोटापे जैसे विकार पैदा हो सकते हैं।
नवजात में गुड बैक्टीरिया पहुंचाने के लिए किए प्रयोग
पहले शोधकर्ता मां से बैक्टीरिया निकालकर को नवजात शिशुओं के चेहरों पर लगाते थे। इससे कोई नतीजा नहीं निकला। हेलसिंकी यूनिवर्सिटी के डॉ. विलेम डी वोस और डॉ. स्ट्यूर एंडरसन ने शिशुओं को मां की आंत के बैक्टीरिया को दूध के साथ देने का परीक्षण किया है।
इस उद्देश्य के लिए सीजेरियन से बच्चों को जन्म देने वाली सात माताओं का चयन किया गया। हर शिशु को सीरिंज से मां के दूध के साथ मां से तीन सप्ताह पहले एकत्र मल के अंश की डोज दी गई।
किसी भी बच्चे पर नकारात्मक असर नहीं पड़ा।
तुलना के लिए शोधकर्ताओं ने 47 अन्य शिशुओं के मल के नमूने एकत्र किए। इनमें से 29 बच्चे सामान्य प्रसव और 18 सीजेरियन ऑपरेशन से हुए थे। डॉ. वोस और डॉ. एंडरसन ने पाया कि सात बच्चों में बैक्टीरिया के अंश उन बच्चों के समान पाए गए जो सामान्य प्रसव से जन्मे थे। अब रिसर्च होगी कि ऐसे बच्चे आगे जाकर प्रतिरोध तंत्र से जुड़ी गड़बड़ी से प्रभावित होते हैं या नहीं।
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